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शनिवार, 1 नवंबर 2025

भारत से रिश्ते सुधारना है तो खत्म करो ये फीस, वरना चीन… ट्रंप को अपने ही दे रहे नसीहत

 



अमेरिका और भारत के रिश्तों में एक नई बहस छिड़ गई है। अमेरिकी सांसदों के एक समूह ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मांग की है कि वे H-1B वीजा पर लगाए गए नए प्रतिबंध और 1 लाख डॉलर की अतिरिक्त फीस को तुरंत वापस लें। उनका कहना है कि यह फैसला न सिर्फ अमेरिका-भारत संबंधों को कमजोर करेगा बल्कि अमेरिकी टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सेक्टर पर भी नकारात्मक असर डालेगा।


 सांसदों ने ट्रंप को लिखा पत्र

यह पत्र अमेरिकी प्रतिनिधि जिमी पनेटा (Jimmy Panetta) के नेतृत्व में सांसद अमी बेरा, सलूड कार्बाजल और जूली जॉनसन ने लिखा है।
सांसदों ने ट्रंप के 19 सितंबर को जारी राष्ट्रपति आदेश — “Restriction on Entry of Certain Non-Immigrant Workers” — की आलोचना करते हुए कहा कि इस नीति से H-1B वीजा धारकों पर कई नई शर्तें और भारी शुल्क लगाया गया है, जो अमेरिकी उद्योगों और भारत-अमेरिका साझेदारी को नुकसान पहुंचाएगा।

सांसदों ने लिखा —

“H-1B वीजा प्रोग्राम न केवल अमेरिका की अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अहम है, बल्कि यह भारत के साथ हमारे रिश्तों और अमेरिकी-भारतीय समुदायों के लिए भी आवश्यक है।”


 चीन से प्रतिस्पर्धा के लिए भारत का सहयोग जरूरी

सांसदों ने ट्रंप से अपील की है कि वे इस आदेश को तात्कालिक रूप से निलंबित करें और H-1B वीजा कार्यक्रम की समीक्षा करें ताकि अमेरिकी कंपनियां दुनिया के सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाशाली लोगों तक अपनी पहुंच बनाए रख सकें।
उन्होंने चेतावनी दी कि जब चीन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और उन्नत तकनीकों में आक्रामक निवेश कर रहा है, तब अमेरिका को अपनी नवाचार क्षमता को कमजोर नहीं होने देना चाहिए।

“भारत जैसे देशों से आने वाले टैलेंट अमेरिका की प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त, रक्षा उद्योग और दीर्घकालिक तकनीकी नेतृत्व को मजबूत बनाते हैं।”


 भारतीयों का बड़ा योगदान

सांसदों के अनुसार, बीते वर्ष H-1B वीजा धारकों में 71% भारतीय थे — यह आंकड़ा साबित करता है कि भारतीय पेशेवर अमेरिका की तकनीकी प्रगति की रीढ़ हैं।
उन्होंने H-1B प्रोग्राम को अमेरिका के STEM (Science, Technology, Engineering, Mathematics) क्षेत्र में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त का “आधार स्तंभ” बताया।

“भारतीय पेशेवर अमेरिका को सूचना प्रौद्योगिकी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में विश्व-नेतृत्व दिला रहे हैं। कई बड़ी अमेरिकी कंपनियों की नींव उन्हीं लोगों ने रखी है, जिन्होंने कभी H-1B वीजा के तहत अमेरिका में काम किया था।”


 सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

सांसदों ने यह भी कहा कि भारतीय-अमेरिकी और अन्य H-1B वीजा धारक स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं, विश्वविद्यालयों और सामुदायिक संस्थाओं को सशक्त बना रहे हैं।
वे अब अमेरिकी समाज की सामाजिक और आर्थिक संरचना का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं।


 क्या करेगा व्हाइट हाउस?

अब निगाहें व्हाइट हाउस की प्रतिक्रिया पर हैं।
क्या ट्रंप अपने ही सांसदों की इस “कूटनीतिक नसीहत” को मानेंगे, या फिर चीन से प्रतिस्पर्धा के बीच भारत पर आर्थिक दबाव बनाए रखेंगे?
अगर अमेरिका ने H-1B नीति में सुधार नहीं किया, तो विशेषज्ञों का मानना है कि भारत-अमेरिका संबंधों में ठंडापन आ सकता है और इसका फायदा सीधे चीन को मिल सकता है।



अमेरिकी सांसदों की यह पहल दर्शाती है कि भारत-अमेरिका साझेदारी केवल राजनीतिक नहीं बल्कि तकनीकी और रणनीतिक आधार पर भी महत्वपूर्ण है।
अगर ट्रंप प्रशासन इस चेतावनी को गंभीरता से नहीं लेता, तो आने वाले समय में वैश्विक टेक्नोलॉजी रेस में चीन को बढ़त मिल सकती है — और यह अमेरिका के लिए एक बड़ी रणनीतिक चूक साबित होगी।

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