सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी, कहा — "हमारे आदेशों का कोई सम्मान नहीं!"
सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों (Stray Dogs) के बढ़ते मामलों पर केंद्र और राज्यों की लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताई है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत पेशी से छूट देने की अपील को न्यायालय ने खारिज कर दिया।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने साफ कहा —
“मुख्य सचिवों को स्वयं फिजिकली कोर्ट में उपस्थित होना होगा। अनुपालन हलफनामे दाखिल न करना न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन है।”
क्या है मामला?
27 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने Animal Birth Control Rules (पशु जन्म नियंत्रण नियमों) के अनुपालन में लापरवाही पर सख्ती दिखाते हुए, सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को नोटिस जारी किया था।
न्यायालय ने पाया था कि अब तक केवल पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और दिल्ली नगर निगम ने ही अपने अनुपालन हलफनामे दाखिल किए हैं।
बाकी राज्यों के खिलाफ न्यायालय ने कहा —
“हम उनसे अनुपालन हलफनामा दाखिल करने को कहते हैं, पर वे सोए हुए हैं! न्यायालय के आदेशों का कोई सम्मान नहीं किया जा रहा!”
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि न्यायालय को ऐसे विषयों पर समय देना पड़ रहा है जिनका समाधान पहले ही नगर निगमों और राज्य सरकारों को कर लेना चाहिए था।
उन्होंने कहा —
“संसद नियम बनाती है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती। अब मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में आना होगा और बताना होगा कि आदेशों का पालन क्यों नहीं हुआ।”
पिछली सुनवाई में क्या हुआ था?
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27 अक्टूबर 2025 को कोर्ट ने आदेश दिया था कि सभी मुख्य सचिव आगामी सोमवार को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हों।
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यह निर्देश उन सभी डिफॉल्टिंग स्टेट्स और यूनियन टेरिटरीज़ को दिया गया था जिन्होंने 22 अगस्त के आदेश का पालन नहीं किया।
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अब कोर्ट ने साफ संकेत दिया है कि जो भी राज्य या अधिकारी आदेश की अवहेलना करेंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई संभव है।
 
क्यों उठा आवारा कुत्तों का मुद्दा?
देशभर में Stray Dogs Attack और Rabies Infection की घटनाएं बढ़ने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से पूछा था कि वे Animal Birth Control नियमों का सही तरीके से पालन क्यों नहीं कर रहे हैं।
इन नियमों के तहत:
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आवारा कुत्तों का टीकाकरण (Vaccination) और नसबंदी (Sterilization) अनिवार्य है।
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स्थानीय निकायों को इन अभियानों की मॉनिटरिंग रिपोर्ट हर महीने जमा करनी होती है।
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लेकिन कई राज्यों ने अब तक इन आदेशों का पालन नहीं किया।
 
सुप्रीम कोर्ट का सख्त संदेश
कोर्ट ने कहा —
“अब समय आ गया है कि अधिकारी व्यक्तिगत जिम्मेदारी लें। अगर कोर्ट के आदेशों की अवहेलना जारी रही तो हम सीधे जवाब मांगेंगे।”
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने साफ कर दिया है कि आवारा कुत्तों के बढ़ते खतरे को लेकर अब ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
मुख्य सचिवों को कोर्ट में हाज़िर होकर जवाब देना ही होगा कि आदेशों का पालन क्यों नहीं हुआ।
यह फैसला न सिर्फ प्रशासनिक जवाबदेही को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि न्यायपालिका अब नागरिक सुरक्षा और पशु नियंत्रण दोनों पर बराबर ध्यान दे रही है।
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