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भारतीय अर्थव्यवस्था इस समय कई वैश्विक और घरेलू चुनौतियों के बीच खड़ी है। एक ओर अमेरिका द्वारा लगाए गए नए आयात शुल्क ने व्यापारिक माहौल में अनिश्चितता पैदा कर दी है, तो दूसरी ओर देश के भीतर महंगाई दर पर लगातार नजर बनाए रखनी पड़ रही है। ऐसे समय में, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति बैठक 6 अगस्त 2025 को होने जा रही है। यह बैठक बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि इससे तय होगा कि आम जनता, कारोबारी वर्ग और बैंकिंग क्षेत्र पर आगामी महीनों में क्या असर पड़ेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि RBI इस बार अपनी प्रमुख ब्याज़ दर, यानी रेपो रेट, को यथावत 6.50% पर बनाए रख सकता है।
🏦 RBI की ब्याज दरें – वर्तमान स्थिति
वर्तमान में RBI की रेपो रेट 6.50% है, जो फरवरी 2023 से स्थिर बनी हुई है। इसके अलावा रिवर्स रेपो रेट 3.35%, SLR 18%, और CRR 4.50% है। इन दरों को बदलने से बैंकिंग सिस्टम में नकदी प्रवाह और लोन की लागत पर सीधा असर पड़ता है।
🔍 क्यों RBI दरें अपरिवर्तित रख सकता है?
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अंतरराष्ट्रीय दबाव: अमेरिका द्वारा भारत से आयात पर 25% शुल्क लगाए जाने के बाद निर्यात और व्यापार संतुलन पर प्रभाव पड़ सकता है। RBI फिलहाल किसी भी उथल-पुथल से बचना चाहेगा।
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महंगाई नियंत्रण में: जुलाई 2025 की CPI महंगाई दर 5.1% दर्ज की गई, जो RBI के 6% के टारगेट के भीतर है। इसलिए तत्काल कोई दर वृद्धि की जरूरत नहीं दिखती।
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विकास दर की चिंता: भारतीय GDP ग्रोथ रेट की अनुमानित दर 6.4% है, जो पिछले वर्ष की तुलना में थोड़ी कम है। ब्याज दरों को स्थिर रखकर आर्थिक रफ्तार को सहारा दिया जा सकता है।
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लोन और क्रेडिट ग्रोथ: वर्तमान रेपो रेट से होम लोन, ऑटो लोन और SME सेक्टर को राहत मिल रही है। दरें स्थिर रहने से इन क्षेत्रों में निवेश बना रहेगा।
💡 इस फैसले का आम लोगों पर असर
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Home Loan लेने वालों को राहत – EMI में कोई बदलाव नहीं होगा
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बैंक FD पर स्थिर रिटर्न – ब्याज दरें बनी रहेंगी
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छोटे व्यापारी और उद्योगों को मदद – सस्ते लोन से उत्पादन और रोजगार में इज़ाफा
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निवेशकों के लिए संकेत – शेयर बाजार को स्थिरता मिलने की उम्मीद
📣 विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं?
“RBI फिलहाल ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा ताकि बाजार में स्थिरता बनी रहे।”
– डॉ. अरुणिमा सिंह, वरिष्ठ अर्थशास्त्री
“अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ और वैश्विक अनिश्चितता को देखते हुए रेपो रेट स्थिर रखना सही फैसला होगा।”
– प्रो. राकेश द्विवेदी, दिल्ली यूनिवर्सिटी
🔚 निष्कर्ष:
भारतीय रिज़र्व बैंक की नीति इस समय 'सावधानी के साथ स्थिरता' की ओर झुकी हुई दिख रही है। रेपो रेट को 6.50% पर बनाए रखना न केवल महंगाई नियंत्रण में मदद करेगा, बल्कि विकास की गति को भी कमजोर नहीं होने देगा। आने वाले महीनों में यदि वैश्विक स्थितियां सुधरती हैं और महंगाई नीचे जाती है, तो दरों में कटौती की संभावना भी बन सकती है।