| (image source-isro) |
भारत ने अंतरिक्ष इतिहास में एक और सुनहरा अध्याय जोड़ दिया है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने रविवार को श्रीहरिकोटा से अपना अब तक का सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट “CMS-03” सफलतापूर्वक लॉन्च किया।
यह सैटेलाइट भारत के स्वदेशी “बाहुबली रॉकेट” LVM3-M5 के जरिए भेजा गया।
क्या है CMS-03?
यह एक कम्युनिकेशन सैटेलाइट है जिसका वजन करीब 4,400 किलोग्राम है।
इसे सतीश धवन स्पेस सेंटर से शाम 5:26 बजे प्रक्षेपित किया गया।
यह सैटेलाइट भारत के मोबाइल नेटवर्क, टीवी, इंटरनेट और समुद्री संचार को नई ऊंचाई देगा और कम से कम 15 वर्षों तक सेवाएं प्रदान करेगा।
क्यों कहा जाता है LVM3-M5 को ‘बाहुबली’?
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इसकी ऊंचाई 43.5 मीटर (करीब 15-मंजिला इमारत जितनी) है।
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यह 4 टन से ज्यादा वजन के सैटेलाइट को अंतरिक्ष में भेज सकता है।
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इसमें तीन चरणों वाला इंजन सिस्टम है जो इसे खास बनाता है।
LVM3-M5 कैसे करता है काम?
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पहला स्टेज – 5200 बूस्टर लॉन्च के वक्त जबरदस्त thrust देते हैं।
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दूसरा स्टेज (L110 लिक्विड इंजन) – बीच के सफर में रफ्तार बढ़ाता है।
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तीसरा स्टेज (C25 क्रायोजेनिक इंजन) – सैटेलाइट को सही कक्षा में स्थापित करता है।
इस मिशन के 5 बड़े टारगेट
1️⃣ डिजिटल कनेक्टिविटी में क्रांति
गांव, पहाड़ और समुद्र जैसे सुदूर इलाकों में नेटवर्क पहुंचाना — तेज़ कॉल, टीवी और ऑनलाइन सेवाएं उपलब्ध कराना।
2️⃣ शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार
जहाँ स्कूल या डॉक्टर नहीं पहुँचते, वहाँ ऑनलाइन क्लास और टेली-मेडिसिन की सुविधा।
3️⃣ आपदा के समय संपर्क बनाए रखना
तूफान, बाढ़ या भूकंप जैसी स्थितियों में भी राहत दलों को संपर्क और सूचना में मदद।
4️⃣ रक्षा और समुद्री सुरक्षा को मजबूती
नौसेना, पनडुब्बियाँ और वायुयान अब रीयल-टाइम कम्युनिकेशन में रहेंगे, जिससे सुरक्षा और निगरानी और बेहतर होगी।
5️⃣ भारत की आत्मनिर्भर स्पेस टेक्नोलॉजी
अब भारत खुद भारी सैटेलाइट लॉन्च करने में सक्षम है — विदेशी निर्भरता घटेगी और भारत वैश्विक स्पेस मार्केट में अपनी जगह मजबूत करेगा।
ISRO का यह कदम भारत की डिजिटल शक्ति, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में ऐतिहासिक छलांग है।
CMS-03 मिशन यह साबित करता है कि भारत अब केवल अंतरिक्ष तक नहीं, बल्कि संचार के हर कोने तक पहुँचने की तैयारी में है।
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