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Friday, August 1, 2025

मुलायम सिंह यादव की कोठी अब नहीं रहेगी सपा के पास: योगी सरकार ने वापस लिया मुरादाबाद का बंगला, किराया था सिर्फ ₹250 प्रति माह

 




उत्तर प्रदेश की राजनीति में समाजवादी पार्टी (सपा) और मुलायम सिंह यादव का एक ऐतिहासिक स्थान रहा है। चाहे सत्ता में रहें या विपक्ष में, सपा की पहचान हमेशा जनमानस से जुड़ी रही है। लेकिन हाल ही में योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा लिए गए एक निर्णय ने सपा की विरासत से जुड़ी एक प्रतीकात्मक जगह को खत्म कर दिया है।

हम बात कर रहे हैं मुरादाबाद के सिविल लाइंस इलाके में स्थित उस बंगले की, जो वर्षों तक सपा के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव से जुड़ा रहा। यह बंगला न सिर्फ राजनीतिक बैठकों का केंद्र रहा, बल्कि सपा के कार्यकर्ताओं और नेताओं के लिए एक पहचान भी बन चुका था। अब यह बंगला समाजवादी पार्टी के पास नहीं रहेगा।

योगी सरकार ने इस सरकारी संपत्ति को समाजवादी पार्टी से खाली करवाने का आदेश दिया है। आश्चर्य की बात यह है कि यह कोठी प्रदेश के सबसे पॉश इलाकों में से एक में स्थित होने के बावजूद, केवल ₹250 प्रति माह की नाममात्र राशि पर किराए पर दी गई थी।

इस फैसले को कुछ लोग "न्यायोचित" बता रहे हैं, तो वहीं कुछ इसे सपा की विरासत पर चोट मान रहे हैं। इस फैसले का राजनीतिक असर क्या होगा, यह आने वाले समय में पता चलेगा, लेकिन इससे यह ज़रूर साफ हो गया है कि योगी सरकार अब "संपत्ति के दुरुपयोग" या "विशेष रियायतों" को खत्म करने की दिशा में कड़े कदम उठा रही है।


📌 क्या है पूरा मामला?

  • मुरादाबाद के सिविल लाइंस में स्थित है यह सरकारी कोठी

  • पहले इसे सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के नाम पर आवंटित किया गया था

  • कोठी का क्षेत्रफल और लोकेशन इसे बेहद मूल्यवान बनाते हैं

  • किराया था मात्र ₹250 प्रति माह – जो एक साधारण घर के किराए से भी कम है


🏛️ योगी सरकार का निर्णय

उत्तर प्रदेश सरकार ने इस बंगले को समाजवादी पार्टी से खाली कराने का आदेश जारी किया है। यह फैसला राज्य संपत्ति विभाग द्वारा लिया गया, जो सरकारी आवासों और बंगलों की निगरानी करता है।

सूत्रों के अनुसार, यह फैसला राज्य सरकार की उस नीति के तहत लिया गया है जिसमें सरकारी संपत्तियों के 'अनुचित कब्जे' और 'नाममात्र किराए' पर आवंटन को समाप्त करने की पहल की गई है।


📍 राजनीतिक प्रतिक्रिया

  • समाजवादी पार्टी ने इस कदम की आलोचना करते हुए इसे "राजनीतिक प्रतिशोध" करार दिया

  • बीजेपी समर्थकों ने फैसले को "विकास और पारदर्शिता" की दिशा में बड़ा कदम बताया

  • कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि इस तरह के आवासों को आम जनता के लिए अस्पताल या शैक्षणिक संस्थान के रूप में विकसित किया जाना चाहिए


💬 सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं

इस खबर ने सोशल मीडिया पर भी खासा ध्यान खींचा है।

  • कुछ यूज़र्स ने पूछा – "क्या किसी आम आदमी को ऐसे इलाके में ₹250 में कमरा मिल सकता है?"

  • वहीं कुछ ने व्यंग्य किया – "इस कोठी का किराया तो मेट्रो टिकट से भी कम है!"


🔍 निष्कर्ष

मुलायम सिंह यादव की यह कोठी केवल ईंट और पत्थरों का ढांचा नहीं थी, बल्कि सपा की राजनीतिक विरासत का एक अहम हिस्सा भी थी। इस कोठी का खाली कराया जाना सपा समर्थकों के लिए भावनात्मक झटका हो सकता है, लेकिन सरकार के दृष्टिकोण से यह कदम सरकारी संपत्तियों के समुचित उपयोग की दिशा में उठाया गया एक जरूरी और साहसिक कदम कहा जा सकता है।

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