भारतीय राजनीति में जब भी युवा चेहरों की बात होती है, तो आमतौर पर उम्मीद की जाती है कि वे ईमानदारी, नई सोच और बेदाग छवि लेकर आएंगे। लेकिन कर्नाटक से पूर्व सांसद और पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना का नाम आज उन चेहरों में शामिल हो गया है, जिनकी राजनीति की उड़ान अचानक अपराधों के अंधेरे में गुम हो गई।
2024 में एक अश्लील वीडियो स्कैंडल सामने आया, जिसमें प्रज्वल रेवन्ना पर 400 से अधिक महिलाओं के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया। मामला तब और गंभीर हो गया जब एक 48 वर्षीय घरेलू सहायिका ने उनके खिलाफ बलात्कार का मुकदमा दर्ज कराया। वीडियो और पेन ड्राइव के माध्यम से जनता के सामने खुलासा हुआ कि किस तरह से सत्ता और शक्ति का दुरुपयोग किया गया। यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं बल्कि राजनीतिक नैतिकता, महिलाओं की सुरक्षा और न्याय प्रणाली की परीक्षा बन गया।
पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने तत्परता दिखाई, और बाद में अदालत में पेश की गई 2200 से अधिक पन्नों की चार्जशीट में 150 से ज्यादा गवाहों के बयान दर्ज किए गए। 31 मई 2024 को जर्मनी से भारत लौटते ही उन्हें गिरफ्तार किया गया। इस केस में कई मोड़ आए—राजनीतिक बचाव, कोर्ट ट्रांसफर की याचिका, और अंत में न्याय की जीत।
1 अगस्त 2025 को उन्हें अदालत ने दोषी करार दिया और 2 अगस्त 2025 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। अदालत में सजा सुनते समय प्रज्वल रेवन्ना फूट-फूट कर रो पड़े और कहा – "मेरी एकमात्र गलती राजनीति में जल्दी आगे बढ़ना था।"
यह मामला इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वो कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, कानून के शिकंजे से नहीं बच सकता।
🔍 मामला क्या था?
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पीड़िता एक 48 वर्षीय घरेलू महिला कर्मचारी थी, जो रेवन्ना के घर में काम करती थी।
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पीड़िता का आरोप था कि रेवन्ना ने न सिर्फ उसके साथ दुष्कर्म किया, बल्कि उसकी गोपनीय वीडियो रिकॉर्डिंग कर ब्लैकमेल भी किया।
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केस में कई वीडियो सबूत, कॉल रिकॉर्ड्स और पीड़िता की डायरी पेश की गई।
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चार्जशीट के अनुसार, पीड़िता के अलावा कई अन्य महिलाएं भी इसी तरह के यौन शोषण की शिकार बनी थीं।
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प्रज्वल ने इस दौरान डिप्लोमैटिक पासपोर्ट का दुरुपयोग कर विदेश भागने की कोशिश भी की थी।
⚖️ कोर्ट का फैसला
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1 अगस्त 2025 को दोष सिद्ध
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2 अगस्त को उम्रकैद की सजा और ₹10 लाख का जुर्माना
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कोर्ट ने कहा, "यह मामला एक महिला की गरिमा और निजता के खिलाफ सबसे गंभीर अपराधों में से एक है।"
✍️ निष्कर्ष
प्रज्वल रेवन्ना का यह मामला राजनीति में नैतिक पतन, महिला सुरक्षा और न्याय व्यवस्था की मजबूती—इन सभी मुद्दों को उजागर करता है। देशभर में यह फैसला एक नजीर बन सकता है कि चाहे कोई कितना भी बड़ा नेता क्यों न हो, अगर वह दोषी है, तो कानून उसे सजा देगा।
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