025 के विधानसभा चुनावों से पहले बिहार में Special Intensive Revision (SIR) के तहत मतदाता सूचियों को अपडेट किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में पुराने या डुप्लिकेट वोटरों को हटाया जा रहा है। लेकिन विवाद तब शुरू हुआ जब INDIA गठबंधन (जो BJP के खिलाफ है) ने आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर "वोटर डिलीशन" किया जा रहा है।
🕵️ INDIA गठबंधन के आरोप
INDIA गठबंधन का कहना है कि:
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लाखों वोटरों के नाम बिना सूचना के सूची से हटा दिए गए हैं।
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ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के लोग, जो सामान्यतः विपक्ष को वोट देते हैं, सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं।
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यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है और चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं।
🧾 NDA के क्षेत्र भी प्रभावित
चौंकाने वाली बात यह है कि NDA (भाजपा गठबंधन) के कई क्षेत्रों में भी वोटरों के नाम काटे गए हैं। यानी अब यह मामला केवल राजनीतिक आरोप नहीं, बल्कि व्यापक प्रशासनिक असंतोष का संकेत देता है।
📋 SIR प्रक्रिया क्या है?
SIR (Special Intensive Revision) एक ऐसा प्रक्रिया है जिसमें चुनाव आयोग:
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मृतकों, डुप्लिकेट्स या स्थानांतरित लोगों के नाम हटाता है
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नए योग्य मतदाताओं को जोड़ता है
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वोटर लिस्ट को अपडेट करता है ताकि निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित हो सके
लेकिन जब इसे बिना पर्याप्त जन-जागरूकता और साक्ष्य के आधार पर किया जाए, तो इससे विवाद जन्म लेता है।
💬 विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
प्रसिद्ध चुनाव विश्लेषक योगेंद्र यादव ने इसे “संस्थागत अहंकार” कहा है। वहीं दूसरी ओर, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि यदि किसी मतदाता का नाम बिना नोटिस हटाया गया है तो वह Form 6A या ग्रिवांस पोर्टल के ज़रिए शिकायत कर सकते हैं।
🧭 आगे की राह
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चुनाव आयोग को इस प्रक्रिया को पारदर्शी और जन-सहयोग से करना चाहिए।
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सभी पार्टियों को सुनिश्चित करना होगा कि मतदाता अधिकारों का हनन न हो।
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नागरिकों को जागरूक होना चाहिए और अपने वोटर आईडी की स्थिति जांचते रहना चाहिए।
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