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भारत की धरती से एक और सुनहरी कहानी निकली है — पुणे की स्केटिंग स्टार श्वेयसी जोशी ने दक्षिण कोरिया में आयोजित एशियन रोलर स्केटिंग चैम्पियनशिप 2025 में भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया है।
यह न केवल भारतीय खेल इतिहास के लिए गर्व का क्षण है, बल्कि यह हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो सपने देखने की हिम्मत रखता है।
🧑🎓 कौन हैं श्वेयसी जोशी?
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उम्र: 17 वर्ष
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शहर: पुणे, महाराष्ट्र
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खेल: रोलर फ्रीस्टाइल स्केटिंग (Classic Slalom Event)
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कोच: विपुल डेशमुख
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शिक्षा: 12वीं की छात्रा, संत गाडगे स्कूल, पुणे
श्वेयसी 6 साल की उम्र से स्केटिंग कर रही हैं और अब तक राष्ट्रीय स्तर पर 11 पदक जीत चुकी हैं। पर यह अंतरराष्ट्रीय पदक उनका सबसे बड़ा सपना था।
🥇 क्या है Classic Slalom स्केटिंग?
क्लासिक स्लालोम स्केटिंग एक ऐसा खेल है जिसमें खिलाड़ी को 20‑30 शंकु (cones) के बीच में गति और संतुलन के साथ जटिल स्टंट दिखाने होते हैं।
यह खेल तेजी, लय और तकनीकी दक्षता की मांग करता है — और श्वेयसी ने इसे एक कला बना दिया है।
🗨️ “मैंने इस पदक को अपने देश के नाम किया है। ये सिर्फ मेरा नहीं, हर उस लड़की का सपना है जो रोलर स्केटिंग को अपना करियर बनाना चाहती है।” – श्वेयसी जोशी
🇮🇳 भारत के लिए क्या है यह जीत?
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एशियाई स्तर पर भारत ने पहली बार रोलर स्केटिंग के इस वर्ग में स्वर्ण पदक जीता है।
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अब तक यह खेल चीन, कोरिया, जापान जैसे देशों में ही लोकप्रिय था, लेकिन अब भारत भी एक ताकत के रूप में उभर रहा है।
इस जीत के बाद भारत के खेल मंत्रालय और रोलर स्पोर्ट्स फेडरेशन ने स्केटिंग के विकास के लिए अधिक फंड और सुविधाएं देने की घोषणा की है।
🎯 श्वेयसी की तैयारी और संघर्ष
श्वेयसी रोज़ सुबह 5 बजे से 3 घंटे की प्रैक्टिस करती थीं। उनके पास विदेशी खिलाड़ियों जैसे संसाधन नहीं थे — न ही अंतरराष्ट्रीय जूते, न ही महंगे कोच — लेकिन उनके पास था हौसला, अनुशासन और परिवार का साथ।
🗨️ "मेरे पापा ने मुझे एक पुराना स्केटिंग सेट दिलाया था। वहीं से मेरा सफर शुरू हुआ था।"
🌟 सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रिया
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#ShreyasiJoshi ट्रेंड कर रहा है Twitter पर
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ओलिंपिक खिलाड़ियों, कोचों और खुद प्रधानमंत्री मोदी ने भी ट्वीट कर श्वेयसी को बधाई दी
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Instagram पर उनके वीडियो पर लाखों व्यूज़ और कॉमेंट्स मिल रहे हैं
📷 यह पल यादगार बना:
🏅 जब श्वेयसी ने भारत का तिरंगा अपने कंधों पर लपेटकर पोडियम पर खड़े होकर राष्ट्रगान बजते हुए आंसुओं के साथ सिर झुकाया — वह क्षण हर भारतीय की आंखों को नम कर गया।
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