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Thursday, July 24, 2025

Hari Hara Veera Mallu – ब्लॉग रिव्यू

 रिलीज़ डेट: 24 जुलाई 2025

निर्देशन: Krish Jagarlamudi (पहला हिस्सा), A. M. Jyothi Krishna (बाद के हिस्सों के लिए) 
मुख्य कलाकार: Pawan Kalyan (Veera Mallu), Nidhhi Agerwal, Bobby Deol, Nargis Fakhri, Nora Fatehi, Sathyaraj आदि




कहानी और रूपरेखा

फ़िल्म की कहानी 1650 के दशक में सेट है। इसमें Veera Mallu (Pawan Kalyan) एक Robin‑Hood–टाइप चोर के रूप में पेश किया गया है, जिसे Aurangzeb की Red Fort से कोहिनूर हीरा चुराने का मिशन मिलता है। यह मिशन सिर्फ डकैती नहीं, बल्कि धार्मिक उत्पीड़न के खिलाफ विरोध के रूप में भी रचा गया है। प्रेजेंटेशन में हीस्ट, विद्रोह और ऐतिहासिक पात्रों का मिश्रण है, लेकिन ये तत्व एक सुसंगत दिशा में नहीं बंध पाते हैं


 पॉजिटिव पहलू

  • पहला हाफ: शानदार ऐतिहासिक माहौल, भव्य सेट, Machilipatnam पोर्ट की लड़ाई और Charminar की चेज़ सीन अच्छी तरह डायरेक्ट की गई हैं। ये दृश्य ग्लैमर और उत्साह से भरे हैं  

  • Pawan Kalyan का प्रदर्शन: फिल्म के सबसे मजबूत स्तंभ हैं। उनका स्क्रीन प्रेजेंस, स्टाइल और एक्शन दृश्यों में एंगेजमेंट बरकरार रखते हैं। वह स्क्रीन पर जहां जाते हैं, वहां ऊर्जा आती है 

  • M. M. Keeravaani की संगीत रचना: कलात्मक और ग्रैंड बैकग्राउंड स्कोर विशेष रूप से जरुरी दृश्य-खण्डों में प्रभावशाली हैं और फिल्म को उठा देते हैं

  • एक्शन कोरियोग्राफी और स्टंट: पहला हिस्सा विज़ुअली रोमांचक है, विशेषकर पोर्ट बैटल, Charminar चेज़ और गाँव की एक्शन सीन में हिंट है आने वाली प्रतिरोधात्मक ऊर्जा की

⚠️ कमजोरियाँ और आलोचना

  • दूसरा हाफ: यह स्लो और असंगठित है, कई दृश्यों में कहानी की गति ढीली पड़ जाती है, स्क्रिप्ट की मजबूती दोनों हिस्सों में असमान रही है

  • VFX की गुणवत्ता: कुछ सीक्वेंस जैसे हिल कॉन्फ्रंटेशन, हॉर्स चेज़ और क्लाइमेक्स सीन्स में कॉम्बिनेशन और CG कमजोर‌ है, जिससे दर्शकों की इमर्शन टूट जाता है

  • टोन की असंगतता: गंभीर ऐतिहासिक संघर्ष से अचानक हास्य की ओर मूड शिफ्ट हो जाता है; कुछ दृश्य जहाँ रहस्य भाव पैदा हो सकता था, वहाँ हास्य चुटकियों पर चला जाता है, जिससे टोन बिगड़ता है

  • पात्रों का अधूरा चित्रण: Nidhhi Agerwal का किरदार आकर्षक था लेकिन विकास की कमी से वह फीकी लगती है। Bobby Deol भी प्रभावशाली हैं, पर उनका उपयोग सीमित एवं अधूरा रहा

 समग्र निष्कर्ष और रेटिंग

यह फ़िल्म उच्च महत्वाकांक्षा, भव्य सेट, Pawan Kalyan की स्क्रीन प्रेजेंस, और संगीत में कुछ चमक दिखाती है, लेकिन कमजोर VFX, ढीली कहानी, और टोनल असंतुलन इसे एक औसत फिल्म बना देते हैं।
बहुत कुछ बेहतर होता अगर स्क्रिप्ट में सुधार होता, दूसरे हिस्से की गति तेज होती, और VFX में मेहनत होती।
रेटिंग: लगभग 2.5 / 5 (India Today: ~2/5; Cinema Express: ~2/5; OTTplay: 3/5)


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