भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और देश के प्रमुख निजी बैंकों व एनबीएफसी (Non-Banking Financial Companies) के लिए एक गंभीर चिंता उभर कर सामने आई है। भारत में खुदरा क्रेडिट ग्रोथ (Retail Credit Growth) में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है, खासकर पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड सेगमेंट में।
जहां एक ओर देश आर्थिक सुधार की ओर बढ़ रहा था, वहीं दूसरी ओर उधारी का स्तर और भुगतान में चूक (defaults) बढ़ने से बैंकों की बैलेंस शीट पर खतरा मंडराने लगा है।
🧾 मुख्य बिंदु
विषय | विवरण |
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📌 सेक्टर | खुदरा ऋण (Retail Loans) |
📉 समस्या | क्रेडिट ग्रोथ में गिरावट और डिफॉल्ट्स में बढ़ोतरी |
🏦 प्रभावित संस्थान | HDFC Bank, ICICI Bank, Axis Bank, Bajaj Finance |
🔍 निगरानी संस्था | भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) |
💳 क्रेडिट ग्रोथ गिरावट के पीछे कारण
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उपभोक्ताओं की क्षमता में गिरावट: महंगाई और बेरोज़गारी के कारण लोगों की चुकाने की क्षमता प्रभावित हुई है।
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लोन रिकवरी में समस्या: छोटे कस्बों और शहरों में लोन रिकवरी की प्रक्रिया कठिन हो गई है।
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क्रेडिट कार्ड डिफॉल्ट्स: ज़्यादा ब्याज दर और लगातार खरीदारी से EMI चुकाने में देरी हो रही है।
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RBI की सख्त नीति: RBI द्वारा बार-बार रेपो रेट में बदलाव और लोन मानकों की सख्ती।
📊 असर किन बैंकों पर पड़ा है?
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HDFC Bank: मार्च तिमाही में डिफॉल्ट्स 3.6% तक बढ़े।
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ICICI Bank: क्रेडिट कार्ड की बकाया राशि 18% बढ़ी पर रिकवरी धीमी रही।
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Axis Bank: पर्सनल लोन सेगमेंट में NPA (Non-Performing Assets) 1.5% से बढ़कर 2.2% पर पहुँचा।
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Bajaj Finance: EMI स्कीम्स में ग्राहकों की देरी रिकॉर्ड स्तर पर।
📢 RBI की प्रतिक्रिया क्या है?
RBI ने हाल ही में बैंकों और NBFCs को चेतावनी दी है कि वे क्रेडिट स्कोरिंग मॉडल को मजबूत करें, जोखिम मूल्यांकन की समीक्षा करें और जरूरत पड़ी तो लोन वितरण की गति को धीमा करें। साथ ही, माइक्रो फाइनेंस और डिजिटल लोन में पारदर्शिता लाने पर भी जोर दिया गया है।
🚨 आगे क्या हो सकता है?
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ऋण वितरण पर अंकुश: बैंकों को कुछ महीनों तक नए लोन में सतर्कता बरतनी पड़ सकती है।
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EMI मोरेटोरियम की वापसी? यदि डिफॉल्ट्स लगातार बढ़ते हैं, तो RBI किसी राहत योजना पर विचार कर सकता है।
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डिजिटल क्रेडिट पर निगरानी: Buy Now Pay Later (BNPL) और इंस्टेंट ऐप लोन पर सख्ती की संभावना।
🧠 विशेषज्ञों की राय
"भारतीय बैंकिंग सेक्टर को अभी बहुत ही सावधानी से आगे बढ़ना होगा। खुदरा ऋण अगर नियंत्रण से बाहर हुआ, तो वित्तीय अस्थिरता पैदा हो सकती है।"
— आशीष मेहता, फाइनेंस एनालिस्ट
📌 निष्कर्ष
भारत में खुदरा ऋण वृद्धि में गिरावट और डिफॉल्ट में बढ़ोतरी न केवल बैंकों बल्कि आम नागरिकों के लिए भी चिंता का विषय है। यह जरूरी है कि बैंक और RBI मिलकर ऐसी नीतियाँ बनाएं जो न सिर्फ क्रेडिट ग्रोथ को संतुलित रखें, बल्कि उपभोक्ताओं को राहत भी प्रदान करें।
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